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विपक्ष में मानसून…

पराग
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लो जी मानसून खूब बरस रहा है. तड़ातड़ …..चारों और पानी ही पानी… ऐसा बरस रहा है जैसे विपक्षी भाई कोयला घोटाले को लेकर अपने मनमोहन चाचा पर बरस रहे हैं. एकदम मूसलाधार. उधर विपक्षियों के बरसने से संसद ठप्प पड़ी है, तो इधर मानसून के बरसने से शहर की नालियां.
सरकार बेचारी फंस गयी है, न विपक्षी संभाले जा रहे हैं न मानसून. जिसको जितना सँभालते हैं, वो उतना ही ज्यादा मुखर हुए जा रहा है. सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को हर बार समझाया जाता है कि भैये सहयोग करके चलो…घपले-घोटाले तो आनी-जानी वस्तुएं हैं. आज हमारे राज में घटित हो रहे हैं. कल को यदि तुम मंत्री संतरी बन बैठे, तो तुम्हारे राज में भी होंगे. हमने कोयले की दलाली की है तो तुम आटे की करोगे. तब सोच लो कि क्या होगा. यदि आज तुमने हेल्प नहीं करी, तो प्यारे कल को हम भी हेल्प नहीं करेंगे. हम भी खूब शोर मचाएंगे हाँ..अभी से बताये देत हैं…लेकिन विपक्षी भी काइयां हैं. सर्वदलीय बैठकों में तो सारी बातें मान लेते हैं, चाय-पकोड़ों का खूब मजा लेते हैं. “देश-हित” में सहयोग करने की बात भी करते हैं. लेकिन बैठक से बाहर आकर सब कुछ भूल जाते हैं. यही हाल मानसून का भी है…माने से नहीं मान रहा. सब परेशान हैं. “बरखा रानी जरा जम के बरसो ” जैसे गीत गुनगुनाने वाले आशिक मिजाज लोग अब हाथ जोड़कर कह रहे हैं- “बरखा रानी जरा थम के बरसो, मेरी छत्त टूट न जाये”…इधर सरकार कह रही है भाई बहुत बरस लिया…बाढ़ प्रबंधन की हमारी सारी योजनायें…प्रोजेक्ट फाइलें…जल प्रबन्धन के सारे दावे…सब तुम्हारे पानी में बह गए. अब तो आर्यावर्त का पीछा छोड़…जा कहीं और बरस. वैसे सरकार में बैठे कुछ काबिल मंत्रियों को शक है कि कहीं मानसून ने विपक्षी दलों से गठबंधन तो नहीं कर लिया..आखिर बारिश तो “राम जी ” ही करवाते हैं और रामजी कौन सी पार्टी के पेटेंट हैं..ये हम सब जानते ही हैं….
इधर आजकल आसमान में बादल देखते ही सरकार को उल्टियाँ होने लगती हैं. हे भगवान्, फिर बादल…फिर बरसात..फिर जलभराव..5 दिन पहले की बरसात के कोहराम से अब तक निपटे नहीं. अब फिर झमाझम…. जो सरकार पिछले दिनों बारिश न होने के कारण पण्डे-पुरोहितों से “वृष्टि यज्ञ” करवा रही थी.वही अब “बारिश रोकथाम मन्त्र” का पाठ करवाना चाहती है….लेकिन अफ़सोस…मार्केट में ऐसा कोई पंडा नही है जो चलती बारिश को रुकवाने का मन्त्र जानता हो. सरकार बेबस है…देश पानी-पानी हुए जा रहा है. वैसे पानी-पानी तो देश काफी समय से हो रहा है. घोटाले पर घोटाले…नेताओं की रंगीनमिजाजी…जातीय तनाव…विधानसभाओं में माननीय सदस्यों का द्वंद युद्ध……सब हमें पानी-पानी कर रहे हैं. इधर विपक्षियों ने ऐलान कर दिया है कि कोयला घोटाले पर हम संसद के साथ-साथ सडक को भी ठप्प कर देंगे. उधर आसमान में बारिश फिर शुरू हो गयी है..मानसून और विपक्ष दोनों बाज नहीं आ रहे हंगामा करने से…सरकार सचमुच परेशान है.

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