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नौटंकी चालू आहे…

पराग
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हमारा देश नौटंकी प्रधान देश है. कभी यह देश कृषि प्रधान हुआ करता था. लेकिन अब हमारा कृषि-वृशी से कुछ लेना देना नहीं. अब हम नौटंकी प्रधान देश की श्रेणी में आने लगे हैं. imagesनौटंकी के करतब वैसे तो सदा से ही हम कला-साहित्य प्रेमी भारतीयों को प्रिय रहे हैं. हमे याद है कि किसी ज़माने में स्वांग और नौटंकियों का बड़ा क्रेज हुआ करता था. हमारे पिताश्री बताते हैं कि कभी जोहरा बाई नौटंकी वाली कि नौटंकी देखने हम घर वालों से झूठ बोलकर कई-कई मील जाया करते थे. धीरे-धीरे समय बदला और नौटंकी का चलन खत्म हो गया….क्यों?… वो इसलिए कि बाद में नौटंकी दिखाने का जिम्मा सरकार और नेताओं ने अपने हाथ में ले लिया…जिससे नेताओं का धंधा फलने-फूलने लगा और जोहराबाई जैसियों को घर बैठना पड़ा. इंदिरा गाँधी के ज़माने से रोपित हुई भारतीय राजनीतिक नौटंकी की पौध अब विराट वट वृक्ष बनकर खड़ी है. हालत यह हो गयी है कि बिना राजनीती कि नौटंकी के न देश चल पता है और न ही देशवासी.
इंदिरा जी के ज़माने का हमे तो कुछ खास पता नहीं, क्योंकि तब इस बंदे ने धरती पर अवतार नहीं लिया था. लेकिन कुछ-पढ़कर और कुछ अपने बुजुर्गों से जानकर यह मालूम हुआ है कि उस समय नेतागण खूब नौटंकी दिखाया करते थे. इंदिरा जी जैसी अपनी आकाओं को राजी करने के लिए ये नेता कभी उन्हें दुर्गा का अवतार बताया करते थे, तो कभी विकास कि मूर्ती. हद तो तब हो गयी जब एक नौटंकी बाज नेता ने यहाँ तक कह डाला कि इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इण्डिया. वर्तमान समय में भी नेताओं कि नौटंकी चरम पर है. बयान देकर, नाटकबाजी करके देश और देशवासियों को मूर्ख बनाया जा रहा है. इंदिरा इज इंडिया कहने वालों के नक़्शे कदम पर चलने वाले आजकल कह रहे हैं..राहुल इज दी होप ऑफ़ इंडिया. नौटंकी का तमाशा दिखाने वाले नेताओं ने पूरी राजनीतीक व्यवस्था को एक नाटक कम्पनी में तब्दील कर दिया है. इस व्यवस्था में सब अपनी जिम्मेदारी से बचकर केवल डायलोग के सहारे देश चला रहे हैं. images2हर साल-छ महीने में आतंकवाद कि एक घटना हो जाती है…लेकिन कोई इसे समूल नष्ट करने के बारे में नही सोचता. नौटंकी प्रधान देश में आतंकी घटनाओं पर भी नौटंकी हो रही है. जैसे किसी तयशुदा प्रोग्राम के स्टेप्स होते हैं, वैसे ही आतंकवादी हमलों के बाद के भी कार्यवाही के चरण होते हैं. यानी images1रात 8 बजे बम विस्फोट. 10 बजे सरकारी नुमाइंदे का घटनास्थल का दौरा. 12 बजे विपक्षियों का सरकार से इस्तीफा माँगना. अगली सुबह 9 बजे मजबूर प्रधानमन्त्री का मजबूत(???…) बयान- हम इन घटनाओं का मुहतोड़ जवाब देंगे…रात्रि नौ बजे समाजसेवियों/ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का इंडिया गेट/ गेटवे ऑफ़ इंडिया पर केंडल मार्च….इसके बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है जैसे कुछ हुआ ही न हो….
यानि देश में सब कुछ ऐंवे ही चल रहा है.. गफलत में….नाटक में… और जब जनता या कुछ अन्य समाज सेवी इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं…तो उनकी आवाज को तर्क-कुतर्कों के जरिये दबाने की कोशिश की जाती है. images3मुंबई हमलों के बाद देश के युवराज और भारत की आशाओं के केंद्र (?…) युवा नेता कहते हैं…अमेरिका वाले तो ऐसे हमलों के आदि है….हमे भी आतंकी घटनाओं के बीच रहना सीखना होगा…. उसके बाद उनके ही सिपहसालार या यूं कहिये कि चमचे कहते हैं- इस घटना में हिंदूवादी संगठनों का हाथ हो सकता है…..यानि तमाशा खड़ा करके मीडिया में सुर्खियाँ लेकर जनहित और देशहित के मुद्दों को भी कूड़े के ढेर में डालने की कवायद हो रही है. आम आदमी को अनेक स्वपन दिखाकर राजनीतिक दल सत्ता पाते हैं और जनता की तकलीफों को और बढ़ने का काम करते हैं. अपने वोट के बदले जनता को कुछ भी सार्थक नही मिलता…मिलती है तो सिर्फ डायलोगबाजी….झूठ….और….और नौटंकी……मतलब नौटंकी चालू आहे…

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