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ये मन्दिर हैं या कॉरपोरेट कम्पनी-Jagran Junction Forum

पराग
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तिरुपति बालाजी मन्दिर-सालाना आय 600 करोड़ रूपये, शिर्डी साईं बाबा मन्दिर- सालाना आय 1 अरब 65 करोड़ रूपये, माता वैष्णो देवी मन्दिर- सालाना आय 500 करोड़ रूपये, सिद्धि विनायक मंदिर मुंबई-सालाना आय 46 करोड़ रूपये. इन आकड़ों को देख-पढ़कर क्या समझे आप ?… ये मन्दिरों की आय है या किसी कॉर्पोरेट कम्पनी का टर्नओवर…..उपरोक्त आंकड़े चौकाने वाले हैं.(नोट कीजिये यह केवल आय है, इसके अलावा इन मन्दिरों का विभिन्न बैंकों में निवेश अलग है..) हमारे देश के मंदिर, मठों, मठाधीशों की जितनी आय है उसकी आम आदमी कल्पना भी नही कर सकता. एक और देश में किसान गरीबी के कारण आत्महत्या करते हैं. आधी आबादी को भर-पेट खाना और सोने के लिए छत्त नसीब नहीं है…पश्चिम बंगाल के आदिवासी क्षेत्रों में तो बेचारी गरीब जनता चूहों को पकड़-पकड़ कर उन्हें अपना आहार बनाती है. दूसरी और मन्दिरों में बेशकीमती खजाना निकल रहा है, इन मन्दिरों और आश्रमों में रहने वाले बाबा खूब फल-फूल रहे हैं…आस्था के नाम पर धर्मभीरु जनता को बरगलाकर आश्रम और बाबा अरबपति हो रहे हैं, यही इस देश की विडम्बना है.
पिछले दिनों एक स्वयंभू भगवान् का देहावसान हुआ. उनकी मृत्यु के बाद उनके आश्रम में जिस तरह पैसों का अम्बार निकला और आये दिन वहां आने-जाने वाले वाहनों में जिस तरह से लाखों रूपये बरामद हो रहे हैं, यह चिंता का विषय है. भोली-भाली जनता द्वारा दान किया गया यह पैसा देश की धरोहर के रूप में सुरक्षित रहे इसके उपाय किये जाने चहिये. अब समय आ गया है कि सरकार इन मामलों को गम्भीरता से ले और मन्दिरों में पड़ी अकूत सम्पत्ति को अधिग्रहित करे. जब देश के मन्दिर-मस्जिदों में इतनी दौलत पड़ी है…जिससे देश का और जनता का खूब विकास हो सकता है, गरीबों का जीवन स्तर सुधर सकता है….तो क्यों विदेशी बैंकों और अन्य देशों से कर्जा लिया जा रहा है. क्यों मन्दिरों कि सम्पत्ति को वहां की तथाकथित कमेटियों और संस्थायों के भरोसे खुला छोड़ा जा रहा है. ऋषि-मुनियों की गौरवशाली परम्परा वाले देश में पिछले कुछ दिनों से बाबाओं और उनके चेलों के चरित्रों पर जो लांछन लगे हैं…उनका कारण भी यही बेशकीमती दौलत है. इसलिए सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर सभी बड़े और नामी मन्दिरों की सम्पत्ति की देख-रेख के लिए ऑब्जर्वर नियुक्त करने चाहिए और मंदिरों पर काबिज निजी संस्थाओं और कमेटियों को आस्था के नाम पर मनमानी करने की छूट देनी बंद होनी चाहिए.

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