इस बार होली कुछ खास ही रही. इस बार यार-दोस्तों और रिश्तेदारों से होली खेलने की बजाय सांवरिया सेठ श्याम से होली खेलने का मन हुआ तो हम पहुँच गए होली पर खाटू में. जहाँ श्याम बाबा का भव्य मंदिर है. वहां होली खेलकर जो सुखद और सुन्दर अनुभव हुआ, उसका वर्णन यहाँ करने की कोशिश कर रहा हूँ.
आगे बढूँ, इससे पहले बाबा श्याम और उनके मन्दिर के बारे में आप सब को थोडा बता दूं. श्याम बाबा का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित है. खाटू दिल्ली से 300 किमी दूर है. सड़क मार्ग से जाने के लिए अनेक साधन देश के प्रमुख नगरों से उपलब्ध है. रेलमार्ग से जाना चाहें तो दिल्ली से वाया रेवाड़ी होते हुए आप रींगस जंक्शन पर उतर सकते हैं, जहाँ से खाटू मात्र 16 किमी दूर है. प्रचलित कथाओं के मुताबिक महाबली भीम के पौत्र थे वीर बर्बरीक . बर्बरीक अति बलवान थे. जब महाभारत का युद्ध चला तो वे भी कुरुक्षेत्र के मैदान में पहुंचे. श्री कृष्ण जानते थे की वे अति वीर हैं और पांडवों की पूरी सेना को अकेले ही नष्ट करने की ताकत रखते हैं….यदि उन्होंने कौरवों को अपना समर्थन दे दिया तो पांडवों का क्या होगा….यही सोचकर श्री कृष्ण ने एक चाल चली और ब्रह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक के पास दान मांगने पहुँच गए. ब्रह्मण को दान देना सबसे बड़ा धर्म है…… यह सोचकर बर्बरीक ने ब्राह्मण वेश धारी श्रीकृष्ण से कहा कि जो चाहे उनसे मांग लें, वह मन नहीं करेंगे. तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका सर दान में माँगा, बर्बरीक वीर ने ख़ुशी-ख़ुशी अपना शीश काटकर श्री कृष्ण को दे दिया. तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम श्याम से जाने जाओगे और तुम्हारे नाम का डंका चारों और बजेगा. कालान्तर में बर्बरीक का कटा हुआ शीश खाटू (राजस्थान) में प्रकट हुआ और लोगों द्वारा इस शीश की श्याम नाम से पूजा की जाने लगी. बाद में उस स्थान पर एक भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया, जिसे खाटूश्याम के मंदिर के नाम से सब जानते हैं.
वर्तमान समय में यह मन्दिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है. हर वर्ष फाल्गुन शुक्ल की एकादशी और द्वादशी को यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे पूरे भारत भर से करीब 7-8 लाख श्रद्धालु शिरकत करते हैं. इसी खाटूश्याम मंदिर में होली के मौके पर खूब मस्ती और धमाल होता है. जिस तरह से बरसाने की होली पूरे देश में प्रसिद्ध है, उसी तरह से खाटू की होली भी उत्तर भारत में काफी प्रसिद्ध है. इसी प्रसिद्ध होली को अनुभूत करने के लिए हम भी अबकी बार होली पर खाटू में पहुंचे. …. देखा खाटू की गलियां चारों और रंग और गुलाल से रंग-बिरंगी हुई पड़ी हैं. इन गलियों से कोई गुजरे और उसका चेहरा रंगीन हुए बिना रह जाए ऐसा हो नहीं सकता. इस रंग-रंगीली होली पर खाटू की अनेक धर्मशालाओं में श्याम संकीर्तन और भजनों के कार्यक्रम चल रहे थे.
राजस्थानी भजनों की धुनों व ढप्प और ढोलक की ताल पर पुरुष और नारियां अपनी सुध-बुध खोकर नाच रहे थे, जिनको देखना एक सुखद अनुभव रहा. होली के अवसर पर खाटू श्याम के मन्दिर में रंग-और गुलाल का प्रसाद चढ़ता है. लोग अपने इष्ट श्याम बाबा की प्रतिमा पर गुलाल उड़ाकर उनके साथ होली खेलकर भक्ति के अथाह सागर में डूब जाते हैं. खाटू की यह भी एक विशेषता है कि हजारों नर-नारियों के पहुँचने के बावजूद न तो यहाँ कि व्यवस्थाये बिगडती हैं और ना ही कोई अप्रिय, अश्लील हरकतें यहाँ पर होती हैं. सांवरिया कि नगरी में होली के रंगों के बीच 8 -10 घंटे बिताने के बाद जब हम यहाँ से रवाना हुए….तो मन में एक अजीब सी ख़ुशी थी. मन ही मन संकल्प लिया कि हर साल होली पर यहाँ आयेंगे और अपने तन और मन को श्याम रंग में रंगायेंगे….जय श्री श्याम.
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