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फागुनी दोहे-holi contest

पराग
पराग
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दोस्तों होली का त्यौहार आने में दो दिन शेष हैं. धीरे-धीरे देश में फागुन की खुमारी छाने लगी है. होली के इस मौसम में बंदे ने भी कुछ दोहे रचने की गुस्ताखी की है, वैसे ये मेरी विधा नहीं है. कैसा लगा ये प्रयास कृपया प्रतिक्रिया जरूर करें-

चारों ओर बहने लगी, फागुनी बयार.

लो फिर आया झूम के, होली का त्यौहार.

शहर-शहर उल्लास है, गाँव-गाँव उन्माद,
छम-छम नाच रही गौरी, बेसुध होकर आज.

चहुँ ओर प्रेम रंग उड़े, मस्ती का अबीर,

ऐसे में प्रियतम बिना, गौरी हुई अधीर.

मौसम वासंती हुआ, आया है मधुमास,
सतरंगी धरती भई, बहुरंगी आकाश.

डाल-डाल पर फूल खिले, महक रहे उपवन.
रंगों की बौछार में, भीगे तन ओर मन.

baltiimages

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