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लीजिये साहब, कई दिनों से पूरे विश्व में धूम मचा रहा फीफा वर्ल्ड कप अब अपने समापन की और है.
रविवार को विश्व विजेता घोषित होते ही यह महा आयोजन खत्म हो जाएगा. करीब एक महीने तक
चले इस विश्व कप में सब कुछ था…मस्ती, उत्साहह, खेल का रोमांच. विश्व के अनेक देश और बड़े
खिलाडी….नहीं था तो भारत.
फीफा वर्ल्ड कप में हमें ऐसे-ऐसे देशों का नाम सुनने को मिला जो भारत की तुलना में न तो क्षेत्रफल
और न ही जनसंख्या के मुकाबले कहीं ठहरते हैं. चिली, घाना, उरुग्वे. पराग्वे….. और भी न जाने
क्या क्या. लेकिन 100 करोड़ की जनसंख्या वाले हम नहीं थे. क्यों नहीं थे…. राम जाने…
अभी मैं इस बात पर चिंतन कर ही रहा था की अपने पुराने यार वर्मा जी आ गए.
“अरे यार स्पेन फाइनल में पहुंच गया..” उसने कहा.
“हाँ ” मैंने बेरूखी से उत्तर दिया
“क्या हुआ…” वर्मा ने पुछा.
“सौ करोड़ के देश में हमारे पास फ़ुटबाल टीम बनाने लायक भी खिलाडी नही…जो इस कप का हिस्सा
बन सकें.” मैंने कहा.
“देखो जरा चिली-पिल्ली जैसे देश फीफा वर्ल्ड कप में गोल कर रहे हैं और हमें चिढ़ा रहें हैं… कि देखो
1 अरब वालों खेल में हम तुमसे कितने आगे हैं.” मैं जारी था.
वर्मा ने कहा “अरे एक फुटबाल में ही तो हम फिसड्डी हैं. बाकी खेलों में तो हम सिरमोर हैं. हमारे पास
क्रिकेट टीम है…चिली के पास नहीं है….हमारे पास सायना है…हमारे पास सानिया है… ”
” बस-बस…” मैंने कहा.
“देखी तुम्हारी क्रिकेट टीम…कब कौनसा मैच फिक्स हो जाए…और कब टीम जिम्बाब्वे जैसों से हार जाए
कोई भरोसा नहीं…सानिया ब्याह करवाके दुश्मन संग जा मिली…” मैंने कहा
“अरे …क्या बात करते हो” तब तक श्रीमती जी भी हमारी बहस में शामिल हो गयी.
“काहे देश को कोस रहे हो …हम बहुत सारे खेलों में बाकी से कहीं आगे हैं,”
“किस खेल में आगे हैं…जरा बताओ …” मैंने उसके खेल ज्ञान पर आश्चर्य जताते हुए कहा.
“तो सुनो…” पत्नी जी ने कहा -“भले ही फूटबाल में हमारे पास बाईचुंग बूटिया के अलावा कोई नहीं हो,
भले ही हम ओलम्पिक तालिका में निचले क्रम में भी कभी-कभार दिखाई देते हों. लेकिन घोटालों के खेल
में हम बहुत आगे हैं. भ्रष्टाचार के खेल में हम नम्बर वन हैं…..महंगाई बढ़ने के खेल में हमारा कोई जवाब
नहीं, नियम कानून तोड़ने के खेल में हमारा कोई सानी नहीं….जीवन के इतने सारे खेलों में हम आगे हैं
…..और आप एक फ़ुटबाल को लेकर पड़े हैं…..” कहकर पत्नी चलती बनी.
मैंने वर्मा से कहा “यार बात में तो दम है….हम तो बहुत चीजों में यूरोप और अमेरिका से आगे हैं…मैं
तो नाहक ही हीनभावना से ग्रस्त हो रहा था….”
वर्मा ने भी हाँ में हाँ मिलाई. मैं मन ही मन पत्नी को धन्यवाद कर रहा था….मुझे मेरे देश के असली खेल
और खिलाडियों की और ध्यान दिलाने के लिए.
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