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jagranjunction …. यानि एक ऐसा अनूठा मंच जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक नयी दिशा प्रदान की. खासकर हिंदी भाषा को जो सम्मान jagranjunction ने दिया है, वह काबिले-तारीफ़ है.
हमारे जैसे लेखन के शौकीनों को जो इज्जत इस मंच पर मिली है उसका क्या कहना. मुझे याद है की कॉपी पेन लेकर कोई रचना लिखने बैठता था. काफी मशक्कत के बाद वह तैयार होती थी. उसके बाद डाक खर्चा लगाकर उसे किसी अखबार या पत्रिका में प्रकाशन के लिए भेजता था. कई दिनों के इंतज़ार के बाद किसी रचना को अखबार में स्थान मिलता था, तो कोई सम्पादक के खेद व अभिवादन सहित वापस आ जाती थी. रचना अस्वीकृत होती तो यूँ लगता जैसे किसी ने आइना दिखा दिया है. कई दिनों तक मन खराब रहता. हमारी अभिव्यक्ति को कोई पढ़ नहीं पाया इसका दुःख होता था. सम्पादक को गाली देने का मन भी करता था. उस समय सुमन सौरभ, ग्रहशोभा, नंदन, बालहंस, चम्पक, लोटपोट जैसी पत्रिकाओं में छपने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. छोटी-छोटी गुमनाम सी पत्रिकाओं में लेख छपते थे, लेकिन प्रसार संख्या नाममात्र की होने के कारण बात ज्यादा लोगों तक नहीं पहुँच पाती थी. कुछ पत्रिकाएँ तो नामी लेखकों के अलावा हमारी जैसी “खुम्बियों ” को पास भी नहीं फटकने देते थे. मगर शुक्रिया jagran junction का जिसने हम जैसे कम अनुभवी (निखिल जी की तरह नौसिखिया शब्द का प्रयोग नहीं करूंगा, नहीं तो हो सकता है चोरी का आरोप लग जाए.) लेखकों को अपनी बात कहने के लिए एक मंच दिया . न अस्वीकृति का डर, ना लम्बा इंतज़ार…… बस एक क्लिक करो, और आपकी बात जनता के बीच…… लेकिन कुछ समय से ऐसा लगता है, जैसे jagranjunction पर अफरातफरी मची हुई है. जल्द लोकप्रिय होने….. एक-दूसरे को काटने…….और अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने की अफरा-तफरी. ऐसा लगता है सभी एक ऐसी दौड़ में शामिल हैं, जिसका कोई अंत ही नहीं है. कई बार ऐसा लगता है की कुछ ब्लोगर्स ने ग्रुपबाजी कर ली है, वे आपस में ही कमेन्ट करते हैं और आपस में ही प्रशंसा. इसे आत्मप्रशंसा भी कह सकते हैं….. ब्लॉग स्टार कांटेस्ट ने भी कुछ लोगों को कुंठित किया है, तो कुछ को अनाप-शनाप टिप्पणियां देने के लिए बाध्य. अभी कल पता चला कि हमारी एक होनहार ब्लोगर की रचना चोरी हो गयी. यह निंदनीय है. साहित्यिक चोरी को किसी भी द्रष्टि से जायज नही मन जा सकता….इससे पहले एक साहब ने किसी और की रचना ही अपने नाम से छपवा दी थी. यह सारी बातें jagran junction के माहौल को कहीं खराब न कर दें. मुझे इस बात की चिंता है. आइये इस मंच की पवित्रता को कायम रखते हुए हम इसे नई उचाईयां प्रदान करे. याद रखें यह मंच रचनात्मक लोगों के लिए है. यहाँ नकारात्मक लोगों का क्या काम……. दुआ करें कि हम सब इस मंच पर बार-बार मिलते रहें…आप सब मेरी बात से सहमत है ना…. अंत में एक तुकबंदी आप की नज़र… जो आज ही किसी ट्रक के पीछे लिखी देखी थी.
अर्ज़ है–
जिन्दा रहे तो बार-बार मिलेंगे,
नहीं तो हरिद्वार मिलेंगे.
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