- 99 Posts
- 268 Comments
परम आदरणीय नीतीश जी,
सादर प्रणाम,
बहुत दिनों से आपको पत्र लिखने की इच्छा थी. आज जाकर यह शुभ दिन आया है, जो आपको पत्र लिख रहा हूँ. हे बिहार के भाग्यविधाता, आप धन्य हैं जो आपने गुजरात सरकार द्वारा बिहार को दी गयी सहायता राशि लौटा दी. इससे यह साबित हुआ है कि आप बहुत बड़े धर्मनिरपेक्ष हैं. देश कि धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाये रखने के लिए आपको कोटि-कोटि धन्यवाद.
वैसे तो हमे आपकी योग्यता और आपकी नीयत पर कोई शक नहीं है, लेकिन फिर भी आप से कुछ बातें पूछते हैं,……मगर आप वादा करें कि मेरे प्रश्न पूछने से आप राम जेठमलानी कि तरह नाराज नहीं हो जायेंगे….महोदय, आप बीजेपी जैसी पार्टी के साथ बरसों से हैं. अटल जी के मंत्रिमंडल में तो आप बाकायदा रेल मंत्री थे. गोधरा काण्ड भी उसी समय हुआ था और उसके बाद गुजरात में दंगे-फसाद और कत्ले आम भी उसी समय कि देन हैं. क्या तब आपको यह भान नहीं था कि आप तथाकथित साम्प्रदायिक पार्टियों के सहचर बने हुए हैं. … .. दूसरी बात यह कि गुजरात में जब एक विशेष मजहब के लोग दंगों की भेंट चढ़ गए, तब आपने बहुत दुःख जताया लेकिन उससे पहले जब गोधरा में 50 -60 निर्दोषों की हत्या हुई, तब आपने मुंह तक नहीं खोला.. क्यों… शायद ये लोग आपके वोट बैंक में शामिल नहीं थे. वैसे तो ये आपने ठीक ही किया…यदि आप गोधरा काण्ड के मृतकों पर भी सम्वेदना जता देते, तो हो सकता है कि आपका वोट बैंक खिसक जाता…आजकल वोटों का बैंक बनाना कोई आसान काम थोड़े ही ना है..बहरहाल अब आपने नरेंदर मोदी द्वारा दी गयी राहत राशी को ठुकरा कर यह जता दिया है कि आप साम्प्रदायिक नरेंद्र मोदी के साथ नहीं हैं. हालांकि पिछले साढ़े चार सालों से आप बीजेपी के साथ मिलकर बिहार का शासन चला रहे हैं. एक मोदी (सुशील मोदी ) आपके उपमुख्यमंत्री हैं…. लेकिन उसी पार्टी के दुसरे मोदी (नरेंद्र मोदी ) को आप अच्छूत समझ रहे हैं. ये दोहरा मापदंड क्यों…. यदि हो सके तो मुझ अकिंचन को इस सवाल का उत्तर जरूर देना… ताकि मेरे पेट में पैदा हुआ अफारा कुछ शांत हो.
हे लालू नाशक नितीश जी, सुना है कि नरेंद्र मोदी के साथ अपनी फोटो छपने से आप इतना नाराज हुए कि आप ने अपने घर बुलाए बीजेपी के मेहमानों का खाना तक रोक लिया. बेचारे…. रंगीन पटके और चमकदार बंडी पहने इन बीजेपी नेताओं ने , पटना के एक अनाम से ढाबे में दाल फराई और मिस्सी रोटी खाकर किसी तरह अपनी क्षुदा को शांत किया. लेकिन आप इस बात से तनिक भी विचलित मत होना. बेशक इससे आपने बरसो पुरानी “अतिथि देवो भव ” की परम्परा का अपमान किया हो. लेकिन साम्प्रदायिकों को खाना ना खिलाकर आपने भारत की गौरवशाली धर्मनिरपेक्ष परम्परा की निर्वहन किया है. यदि आप इन लोगों को खाना खिलाते तो हो सकता है आपका कढाई पनीर, तंदूरी नान, लिट्टी-चौखा, सत्तू भी साम्प्रदायिक हो जाते…. इससे आपकी छवि पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता. वैसे भी चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में आपको एक-एक कदम नाप-तौलकर उठाना चाहिए. क्या हुआ जो अब कोसी के बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पायेगा… क्या हुआ जो उनके बच्चे भूख से बिलबिलाकर तड़पेंगे….., क्या हुआ जो बाढ़ से विस्थापित लोगों का पुनर्वास अब अधर में रह जाएगा…. क्या हुआ जो अब इन लोगों का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में डूब जाएगा…..इन सबसे क्या फर्क पड़ता है. गरीब जनता तो वैसे भी मरने के लिए ही है. कम से कम हमारे महान भारत की धर्मनिरपेक्षता और आपकी चुनावी संभावनाओं पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा. सच में आप धन्य हैं नितीश जी. मेरा आपको शत-शत नमन… जाते-जाते आपको पुरानी याद के सहारे छोड़ कर जा रहा हूँ….
Read Comments