पराग
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द्वेष में डूबा आलम सारा, मेरे देश में.
खत्म हुआ सब भाईचारा, मेरे देश में.
गैर आपस में लड़ते तो और बात थी,
भाई ने भाई को मारा, मेरे देश में.
गिर रहा है ग्राफ ईमानदारी का,
बेईमानी का बढ़ा पारा, मेरे देश में,
गंगा दूषित, यमुना भी प्रदूषित,
उलटी बह रही है धारा, मेरे देश में.
जनता है दुखी, अस्त और त्रस्त,
नेता खा रहा है चारा, मेरे देश में.
और मैंने तो बढाया था हाथ दोस्ती का,
उसने कसकर थप्पड़ मारा मेरे देश में.
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