पराग
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एक दिन महंगाई से,
बोला भ्रष्टाचार .
प्यार करता हूँ मै तुमसे,
क्या तुमको भी है प्यार.
महंगाई बोली-
प्यार तो मैं भी तुमसे करती हूँ
पर इस दुनिया से डरती हूँ
विरोध करती है हमारा,
ये जनता निगोड़ी.
फिर कैसे जमेगी भला,
अपनी ये जोड़ी.
भ्रष्टाचार बोला-
फ़िक्र नोट मेरी जान,
जब तक इस मुल्क में,
व्यभिचारी रहेंगे,
घोटालों में लिप्त,
नेता व अधिकारी रहेंगे,
तब तक कोई हमे,
कुछ न कहेगा,
अरे अमर है अपना प्यार,
और सदियों तक अमर rahega
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