पराग
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कलम आज उनकी जय बोल
की जिन्होंने बारी बारी,
घोटालों की शाही सवारी,
जो चारा तक डकार गए,
आनन-फानन बिना तौल- मौल.
कलम आज उनकी जय बोल
शीर्ष पदों पर बने हुए हैं,
आरोपों में सने हुए हैं,
जिनके बुरे कर्मों से,
संसद भी रही है डोल.
कलम आज उनकी जय बोल
जैसे-तैसे सता हथियाई,
आते ही बढाई महंगाई,
गरीब सेवा का जिन्होंने,
पीटा था ताउम्र ढोल.
कलम आज उनकी जय बोल.
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