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पवित्र भूमि राजस्थान मैं ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कई दर्शनीय तीर्थस्थल स्थित हैं. सालासर हनुमान, मेहंदीपुर बालाजी, खाटूश्याम, रामदेव बाबा मंदिर जैसे अनेक मंदिर इस सतरंगे प्रदेश की शान और पहचान हैं. कैलादेवी मंदिर करोली भी एक ऐसा ही तीर्थ स्थल है, जो जन जन की आस्था का केंद्र है. उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ के रूप मैं ख्याति प्राप्त कैला देवी मंदिर देवी भक्तों के लिए पूजनीय है, यहाँ आने वालों को सांसारिक भागमभाग से अलग अनोखा सुकून मिलता है. यही कारण है कि साल दर साल कैला मैय्या के दर्शनार्थियों कि संख्या बढती ही जा रही है. राजस्थान के जिला करोली से २६ किमी दूर कैला गाँव में स्थापित है कैला देवी मंदिर. त्रिकूट मंदिर कि मनोरम पहाड़ियों कि तलहटी में स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा भोमपाल ने 1600 में करवाया था. इस मंदिर से जुडी अनेक कथाएं यहाँ प्रचलित है. मन जाता है कि वासुदेव और देवकी को जेल में डालकर जिस कन्या योगमाया का वध कंस ने करना चाहा था, वह योगमाया कैला देवी के रूप में इस मंदिर में विराजमान है. एक अन्य मान्यता के अनुसार पुरातन काल में त्रिकूट पर्वत के आसपास का इलाका घने वन से घिरा हुआ था. इस इलाके में नरकासुर नामक आतातायी राक्षस रहता था. नरकासुर ने आसपास के इलाके में काफी आतंक कायम कर रखा था. उसके अत्याचारों से आम जनता दुखी थी. परेशान जनता ने तब माँ दुर्गा की पूजा की और उन्हें यहाँ अवतरित होकर उनकी रक्षा करने की गुहार की. बताया जाता है कि आम जनता के दुःख निवारण हेतु माँ कैला देवी ने इस स्थान पर अवतरित होकर नरकासुर का वध किया और अपने भक्तों को भयमुक्त किया. तभी से भक्तगण उन्हे माँ दुर्गा का अवतार मानकर उनकी पूजा करते हुए आ रहें हैं. श्री कैला देवी का मंदिर सफ़ेद मार्बल और लाल पत्थरों से निर्मित है, जो स्थापत्य कला का बेमिसाल नमूना है. माँ के मंदिर में वैसे तो सारा साल दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है, लेकिन चैत्र मॉस के नवरात्रों में इस मंदिर कि रौनक देखने लायक होती है. चैत्र मॉस के नवरात्रों में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में शिरकत करने वाले श्रद्धालू दूर-दूर, से पैदल चलकर व लाल ध्वजा लेकर मंदिर आते हैं. इन दिनों माता का मंदिर लाल झंडों से अट जाता है, जिसे देखना एक सुखद अनुभव है. कैला देवी के मंदिर के निकट ही पौराणिक महत्व के अन्य मंदिर भी स्थित हैं, जो लोगों कि श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर परिसर में बाबा भैरों का मंदिर भी स्थित हैं. माना जाता है कि जो भक्त कैला देवी के दर्शनों के बाद भैरों बाबा के मंदिर में आता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है. इसके अतिरिक्त हनुमान मंदिर भी दर्शनीय है. स्थानीय बोलचाल में यहाँ हनुमान को लांगुरिया कहा जाता है. माँ कैला और लंगुरिया के अनेक लोकगीत यहाँ प्रचलित हैं और मंदिर में मेले व अन्य ख़ास मौकों पर ग्रामीणों द्वारा श्रद्धा से ये लोकगीत गाये जाते हैं.
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